
दीदी ने कहा कि हमें सनातन धर्म की मर्यादा में रहकर पौराणिक संस्कृति का पालन करना चाहिए। बच्चों को सनातन संस्कृति की पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बच सकें। उन्होंने कहा कि कथा स्थल एक पवित्र मंदिर होता है, वहां उसी मर्यादा में रहना चाहिए जैसे हम भगवान के मंदिर या अपने घर में रहते हैं।
इस आयोजन की तैयारियों में सनातन धर्म सेवा समिति और ग्रामवासी लंबे समय से जुटे थे। श्रीमद् गौ भागवत कथा प्रतिदिन सुबह 8 से 11 बजे तक होगी। सातों दिन श्रद्धालुओं और ग्रामवासियों के लिए कथा स्थल पर ही महाप्रसादी का आयोजन रहेगा।
कथा के शुभारंभ पर कलश यात्रा में श्रीमद् भागवत पोथी लोकेश मेनारिया ने धारण की। मुख्य जल कलश मांगीलाल कुलमी परिवार ने लिया। भगवान की चांदी की छड़ी कैलाश हाड़ा और भेरूलाल कुलमी ने ली। भगवान के चंवर चांदमल कुलमी और जसपाल लोहार ने लिए। प्रथम आरती गणेश पाटीदार ने अपनी धर्मपत्नी के साथ की। सनातन धर्म सेवा समिति और ग्रामवासियों ने सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया।