रूण्डेड़ा में 6 अप्रैल को मनेगा रंग तेरस पर्व, गेर व घूमर का दिखेगा अनूठा संगम

वल्लभनगर।प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीको से होली खेली जाती है, कही रंगों से तो कही पटाखों से, तो कही गैर नृत्य के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है। उदयपुर जिला मुख्यालय से 45 किमी व वल्लभनगर तहसील के राजस्व ग्राम रूण्डेड़ा मे ऐतिहासिक रंग तेरस या तेरसा का आयोजन राजस्थान प्रसिद्ध है, जहाँ की गैर नृत्य को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते है। रुंडेड़ा में रंग तेरस का आयोजन इस बार 6 अप्रैल को भव्य तरीके से होगा। रंग तेरस आयोजन को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह है ग्रामीण इसकी तैयारियों में लग गए है और तैयारियों की जा रहा है। रंग तेरस को लेकर प्रतिदिन तीनो समाज द्वारा अपने अपने मंदिर प्रांगण में गैर रमने का कार्य जारी है, वही गांव को सतरंगी रोशनियों से सजाने का कार्य 2 अप्रैल से शुरु होगा। उल्लेखनीय है कि रंग तेरस पर रुंडेड़ा गॉव मे सुबह 10 बजे से 3 बजे तक रंगो की तेरस खेली जाएगी तथा रात भर गैर नृत्य, हेरतंगेज करतब आदि किए जाएगे। इसमे सभी समाज मेनारिया ब्राह्मण, जणवा, जाट सहित सभी समाज के लोग इस त्यौहार में भाग लेते हैं।

देर रात तक चलती है
7 बजे बाद ग्रामीण अपनी पारंपरिक मेवाड़ी वेशभूषा धोती, कुर्ता, सिर पर मेवाड़ी कसुमल पाग में एवं महिलाएं भी सजधज तैयार हो ब्राह्मण समाज के लोग मुख्य मंदिर लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर, जणवा समाज के जणवा मंदिर और जाट समुदाय के ग्रामीण जाटो की बावड़ी एकत्र होने शुरू हो जाते है जहाँ तीनो जगह एक साथ 9 बजे से गैर रमना शुरू होता है। जो देर रात तक रमी जाती हे। गैर में गैर ओर घूमर का अनूठा संगम देखने को मिलता है जहां अंदर की तरफ ढोल ओर मादल के गोलाकार महिलाएं घूमर नृत्य करती है तो वही बाहर की तरफ पुरुष वृत्ताकार गैर नृत्य करते है।

इस उत्सव मे मेवाड, मालवा व मारवाड क्षैत्र सहित देश विदेश से लोग देखने के लिए आते हे। विदेशों में रह रहे रुण्डेड़ा गांव के अधिकांश लोग इस त्योहार पर गांव आ जाते है। रंग तेरस पर्व पर रुण्डेडा में एक ही दिन में दो त्योहारों की अनुभूति होती है दिन में होली का माहौल ओर रात में दिवाली सा नजारा।