स्कूली विद्यार्थियों ने किया बर्ड विलेज मेनार का भ्रमण, 100 से अधिक प्रजातियों के परिंदों को करीब से पहचाना

मेवाड़ीखबर@ वल्लभनगर गुलाबी सर्दियों की दस्तक के साथ ही पक्षी विहार मेनार के जलाशयों में प्रवासी परिंदों की हलचल बढ़ने लगी है। सुबह शाम इनकी अठखेलियों और चहचहाहट से फ़िज़ाँ सुहानी हो चली है। वहीं पक्षी दर्शन के लिए पक्षी प्रेमी एवं स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों के दल भी मेनार पहुंचने लगे हैं। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि एवं सस्टेनेबल डेवलेपमेंट की अवधारणा के तहत सनबीम विद्यालय आयड उदयपुर के 25 से अधिक विद्यार्थियों का दल अपने शिक्षकों और डायरेक्टर कुणाल, अकाशी, पूजा, अप्सा और मीनू के साथ मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स के ब्रह्म सागर और ढंढ तालाब जलाशयों का अवलोकन किया। विद्यालय के बच्चों ने इस दौरान करीब 100 से अधिक जलीय, थलीय पक्षी प्रजातियों की पहचान की। इस दौरान पक्षी मित्र ललित मेनारिया ने दल को पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी दी। पक्षी मित्र दर्शन ने विद्यार्थियों के दल को प्रश्नोत्तरी के माध्यम से फ्लेमिंगो, कोर्मोरैंट, ब्लैक ड्रोंगो, मार्श हैरियर आदि परिंदों के बारे में रोचक जानकारी प्रदान की। आर्द्रभूमि के महत्व और इनके संरक्षण के लिए प्रेरित किया।डायरेक्टर कुणाल ने मेनार के स्थानीय निवासियों की तारीफ करते हुए बताया कि यहां के निवासियों ने तालाबों का संरक्षण किया है तभी आज हम इतने सारे पक्षियों को देख पा रहे हैं और नई पीढ़ी को भी दिखा पा रहे हैं और बच्चों को भी ज्यादा से ज्यादा संरक्षण के प्रयासों में शामिल किया जाना चाहिए। इस दौरान विद्यार्थियों ने ग्रेटर फ्लेमिंगो, रडी शैल डक, ग्रे लेग गीज, बार हेडेड गीज, मार्श हैरियर, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन क्रेन, नॉर्दर्न शोवलर, कॉर्मोरेंट, स्पून बिल आदि प्रजातियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

मेहमान परिंदों का करीब 4 माह मेनार में कुनबा

सर्दी की आहट जैसे जैसे शुरू होती है, मेनार के जलाशयों पर विदेशी मेहमान परिंदों का कुनबा बढ़ता जाता है और मेनार के दोनों जलाशयों पर भोजन की प्रचुरता के कारण ये पक्षी प्रतिवर्ष यहां आते हैं। मेनार क्षेत्र में किसी भी जलाशय पर मछलीपालन नहीं होता और इन जलाशयों के पानी को सिंचाई के लिए उपयोग में नहीं लिया जाता। प्रवासी पक्षियों का आगमन अक्टूबर माह में आरंभ होता है और नवंबर के अंत तक जारी रहता है, लेकिन इस बार सर्दी की शुरुआत थोड़ी लेट हुई इसलिए इन पक्षियों का आना अभी भी जारी है। इनका प्रस्थान यहां की परिस्थितियों पर निर्भर करता है, और आमतौर पर ये मार्च-अप्रैल माह में चले जाते हैं। शीत ऋतु के दौरान ये करीब 4 से 5 महीने यहां निवास करते हैं।

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