राजस्थान नर्सेज संयुक्त संघर्ष समिति देहात उदयपुर का प्रदेश व्यापी 11सुत्रीय मांगों को लेकर ध्यान आकर्षण बैठक संपन्न

जब तक सरकार 11 सूत्रीय मांगे नहीं मान जाती तब तक रहेगा शीत युद्ध जारी -मेनारिया
वल्लभनगर। राजस्थान नर्सेज संयुक्त संघर्ष समिति देहात उदयपुर प्रदेश व्यापी आंदोलन के तहत भटेवर स्थित सभागार में नर्सेज ने 11सुत्रीय मांगों को लेकर ध्यानाकर्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संघर्ष समिति के जिला संयोजक कुंदन मेनारिया ने बताया की कि रविवार को संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक प्यारे लाल चौधरी, भूदेव धाकड़, पुरुषोत्तम कुम्भज, पवन मीणा, उदयपुर ग्रामीण पूर्व जिला संयोजक भूपेंद्र सिंह शक्तावत, नर्सेज वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मी लाल लोहार, ज़िला सचिव प्रवीण देवल ,रघुनाथ सिंह देवड़ा, भीम लाल मेघवाल, हेमंत आमेटा , की अगुवाई ध्यानाकर्षण कार्यक्रम में नर्सेज का मनोबल बढ़ाया। सभी प्रदेश संयोजकों एवम् अतिथियों का मेवाड़ी पगड़ी एवं उपरणा ओडा अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नर्सेज की जननी फ्लोरेंस नाइटेंगल की तस्वीर पर पुष्पांजलि से हुई।
सरकार ने नहीं मानी माने तो जयपुर की सड़कों पर होगा तांडव:-प्रदेश संयोजक प्यारेलाल चौधरी ने अपने उद्बोधन में बताया कि राजस्थान में नर्सेज की ठेका प्रथा बंद की जाए । संविदा पर कार्य कर चुके नर्सेज का सेवाकाल जोड़ा जाए। संविदा नर्सेज का वेतन 37500 रुपए के किया जाए। आंदोलन की आगे की रणनीति के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए कहा राज्य सरकार ने अगर 11 सूत्रीय मांगे नहीं मानी तो 23 अगस्त को जयपुर में नर्सेज की महारैली आयोजित की जाएगी। पुरुषोत्तम कुम्भज ने कहा कि नर्सिंग ट्यूटर को राजपत्रित किया जाए एवं असिस्टेंट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर के पद सृजित किए। जाएं। नर्सिंग स्टूडेंट का स्टाइपेंड बढ़ाया जाए। भूदेव धाकड़ ने कहा कि नर्सेज की वेतन विसंगति में सुधार किया जाएं। युवा प्रदेश संयोजक पवन मीणा ने अपने उद्बोधन में बताया कि पिछले लंबे वर्षों से राजस्थान के नर्सेज की लंबित मांग को लेकर के राज्य सरकार अनदेखी करती आई है । जिससे प्रदेश के नर्सेज का मानसिक और आर्थिक शोषण हुआ है। अब उस शोषण से बचने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के साथ आगामी रणनीति तैयार कर जयपुर महारैली के लिए गर्व भरी है। जिला संयोजक कुंदन मेनारिया ने अपने उद्बोधन में बताया कि प्रदेश सरकार जब तक राजस्थान के नर्सेज की 11 सूत्री मांगें नहीं मान लेती तब तक नर्सेज एवं सरकार के बीच शीतयुद्ध जारी रहेगा।
नर्सेज की वेतन भत्तों की विसंगति हो दूर-राज्य में नर्सेज को बिहार ,उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में ही मूल वेतन 7100 से 22700 प्रतिमाह कम मिल रहा है, वहीं हॉल ही बजट घोषणा 2023 में घोषित नए एसीपी नियमो से राज्य के अन्य समकक्ष संवर्गो से भी नर्सेज को 2 से 3 पे स्टेप कम वेतन जैसी उत्पन्न हुई विसंगति ,तथा मेडिकल कॉलेज सलंग्न चिकित्सालयो में सफाई कर्मियों से भी कम 7900 प्रतिमाह वेतन, उच्च योग्यता डिग्री,डिप्लोमाधारी प्रशिक्षित नर्सेज संवर्ग का असहनीय अपमान है। जिसे बर्दास्त नही किया जा सकता। वही नर्सिंग भत्ता, वर्दी भत्ता,विशेष वेतन भत्ता, हार्ड ड्यूटी भत्ता, मेस भत्ते में वृद्धि,,संविदा सेवा से नियमित हुए नर्सेज के संविदा सेवाकाल की नेशनल गणना ,नर्सिंग ट्यूटर एवम एएनएम वर्ग का पदनाम परिवर्तन ,ठेका प्रथा से भर्ती पर पूर्ण प्रतिबंध तथा समस्त संविदा नर्सेज का नियमित करण, स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय की स्थापना, नर्सिंग ट्यूटर एवम सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद को राजपत्रित कर सहित इत्यादि मांगे लंबित है। कार्यक्रम के दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारी एवं विभिन्न ब्लॉक से नर्सेज उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संजय मेघवाल ने किया।
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