मेनार मे भीषण गर्मी के चलते करीब 300 से 400 चमगादड़ों की हुई अकाल मौत

वल्लभनगर । प्रदेश सहित उदयपुर जिले एवं उपखंड क्षेत्र में गर्मी अपना रौद्र रूप दिखा रही है। गुरुवार, शुक्रवार को गर्मी, लू, हीटवेव जानलेवा हो गयी है। जिससे भीषण गर्मी के चलते गर्म हवा के थपेड़ों के बीच तेज धूप और लू से झुलसकर शुक्रवार को मेनार में ब्रह्म सागर तालाब की पाल पर स्थित आम के पेड़ों पर बसेरा डाले करीब 300 से 400 चमगादड़ों की मौत हो गई है और चमगादडो की मृत्यु होने से वह आम के पेड़ से नीचे गिर रहे है। चमगादड़ों के शव सड़ने से संक्रमण फैलने की आशंका भी बनी हुई है। भीषण गर्मी और लू चलने से आम जनजीवन बेहाल हो गया है और जीव जन्तुओं की जान पर बन आई है। ग्रामीण प्रेमशंकर रामावत ने बताया कि शुक्रवार जब सुबह सुबह ग्रामीण ब्रह्म सागर की पाल की ओर गए तो देखा कि शान्तिलाल मेरावत के घर के सामने स्थित आम के पेड़ से चमगादड़ गिर रहे है, पास जाकर देखा तो चमगादड़ मरे हुए थे। बर्ड विलेज के नाम से प्रसिद्ध गाँव मेनार मे कई सालों से दोनो तालाबों में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही हैं, और ढंड तालाब, ब्रह्म सागर में हज़ारो किलोमीटर की दूरी तय मेहमान परिंदे मेनार जलाशयों पर पहुँचते है और तालाबो की रौनक बढ़ाते हैं। लेकिन हाल ही जिले सहित उपखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है और आसमान से आग बरस रही हैं। जिससे आम के पेडों पर दिन भर बसेरा करने वाले चमगादड़ों पर भी गर्मी की मार पड़ी है। शान्तिलाल मेरावत ने बताया कि मेनार मे कई सालों से इन आम के पेड़ों पर चमगादड़ दिनभर उल्टी लटकी हुई रहती है और शाम ढलते ही तालाब में उड़ते हुए पानी पीती हैं, तो जलाशय की रमणीयता बढ़ा देते हैं। वही फिर भोजन की तलाश में दूर तक झुंड में चली जाती हैं। जहाँ पर फल आसानी से प्राप्त कर, और वहां रातभर रुककर अपनी भूख मिटाती है। सुबह भोर होने पर पुनः लौट कर आ जाती है। पाल के पास मे स्थित मकान में रहने वाले भीमलाल मेरावत ने बताया कि 6-7 साल पहले भी इसी तरह की गर्मी पड़ी थी और हजारों की संख्या में चमगादड़ों की अकाल मौत हो गई थी। पाल के आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि पेड़ों के नीचे चमगादड़ों के शव बिखरे पड़े हैं। संख्या करीब 300 से 400 के आसपास है। शवों के सड़ने से काफी दुर्गंध फैल रही है और पास मे रहना मुश्किल हो गया है। प्रदूषित वायु के कारण कई बीमारियों के होने का अंदेशा है, और अनेक शवो को आवारा कुत्ते उठाकर अपना भोजन बना रहे है। जिससे ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन अविलम्ब चमगादडो को हटाकर जमीन में गाड़ने की प्रक्रिया करे ताकि आगे किसी भी तरह की बीमारियों, संक्रमण फैलने से रोका जा सके।

गर्मियों में जब तापमान 41 डिग्री को पार जाने लगता है और हवाएं ज्यादा गर्म होकर चलती है। इससे पेड़ों पर उलटा लटकर बसेरा डालने वाली चमगादड़ें मरने लगते हैं। यह सुबह-शाम को ही पानी पीते हैं और दिन में पेड़ पर लटकर आराम करते हैं। 2 दर्जन प्रजातियों में से यही इकलौती ऐसी प्रजाति है जो फल सब्जी खाती है। अपने भारी शरीर के कारण खुले में रहती है। अन्य प्रजातियां पेड़ों के कोटर, गुफा आदि ऐसे स्थानों पर छिपकर रहती है। जहां ठंडक रहती है।

 ......कैलाश मेनारिया, क्षेत्रीय वन अधिकारी, ब्लॉक भींडर
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