गौ माता से दूरी बनी तो संस्कृति पर संकट आया- साध्वी निष्ठा दीदी

मेवाड़ी खबर@कानोड़। सनातन धर्म सेवा समिति खेताखेड़ा द्वारा आयोजित श्रीमद् गौ भागवत कथा के पांचवें दिन साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी ने कहा कि गौ माता सनातन संस्कृति का आधार हैं। जब-जब हमने गौ माता से दूरी बनाई, तब-तब हमारी संस्कृति पर संकट आया। आज लाखों गौ माताएं कत्लखानों में कट रही हैं। इसमें हम सभी कहीं न कहीं दोषी हैं।दीदी ने कहा कि फैशन के नाम पर हम पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं। इससे हमारी दुर्दशा हो रही है। हम हंसी के पात्र बन रहे हैं। इसके बावजूद हम उसी राह पर चल रहे हैं, जो हमें विनाश की ओर ले जाएगी। आज धार्मिक आयोजन हो या पारिवारिक कार्यक्रम, हर जगह पाश्चात्य संस्कृति को अपनाया जा रहा है। यह पूरी तरह गलत है।

कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मार्मिक चित्रण किया गया। नामकरण संस्कार के माध्यम से हिंदू परंपराओं की जानकारी दी गई। दीदी ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि बच्चों का जन्मदिन होटल में नहीं, गौशाला में मनाएं। वहां गौ सेवा करें। तभी बच्चे हमारी संस्कृति को समझ पाएंगे।
साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सत्संग का लाभ अवश्य लेना चाहिए यह सौभाग्य से मिलता है ओर यही सौभाग्य पुण्य के रास्ते वैकुण्ठ तक ले जाता है ,सत्य यही है कि सत्संग से ही वैकुण्ठ मिलता है इसलिए मनुष्य को सत्संग का मार्ग कभी नहीं छोडना चाहिए।
कथा को आगे बढाते हुए साध्वी ने कहा कि व्यास जी ने परीक्षित को कृष्ण जन्म कि कथा सुनाई, माता यशोदा के वात्सल्य ओर नंद के भाग्य से बृज भूमि धन्य हुई ।
नंद के आनन्द भयो जय हो नंद लाल की …गीत पर भक्तों ने जमकर आनन्द विभोर होकर ठुमके लगाए। कृष्ण जन्म की मार्मिक कथा ने हर किसी को भावुक कर दिया । कृष्ण की बाल लीला सहित नंद के घर बधाई देने वालों की भीड के प्रसंग को साध्वी ने बखुबी सुनाया जिसे सभी ने तन्मयता से सुना । साध्वी ने देशी गाय के दूध ,घी ओर स्वयं भगवती स्वरूपा गाय की महत्ता बताई। साध्वी ने गौ हत्या को जघन्य अपराध बताते हुए कहा कि हम बनावटी सुन्दरता के पीछे पडे है जो गौ हत्या के बाद गाय के रक्त से बनाए जाते है ऐसे कॉस्मेटिक सामान का उपयोग नहीं करना चाहिए।
दीदी ने कहा कि आज कॉस्मेटिक चीजों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है। यह शरीर के लिए नुकसानदायक है। इससे दूर रहने की सलाह दी।
सुन्दरता मन की स्वाभाविक होती है बनावटी सुन्दरता को सनातन संस्कृति में ठीक नहीं माना गया है । खुले बाल, बडे नाखून यह सभी राक्षसी गुण है जो सनातन के विपरीत है क्योंकि सनातन दिखावा को बढावा नहीं देता।
कथा को आगे बढाते हुए साध्वी ने कहा कि भगवान कृष्ण ओर बलराम का नामकरण गर्गाचार्य ने गौ शाला में किया यही गो माता की महत्ता है । माखन लीला ,बाल लीला ,सहित कृष्ण के जन्म का एक एक प्रसंग को साध्वी ने भक्ति ,संगीत ओर मार्मिकता के तारतम्यता से समझाया।
सनातन धर्म सेवा समिति और ग्रामवासियों द्वारा आयोजित इस कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आयोजन को लेकर ग्रामवासी पूरी तन्मयता से जुटे हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं। प्रतिदिन महाप्रसादी भी करवा रहे हैं। आयोजन में सहयोग देने वाले सभी श्रद्धालुओं का समिति पदाधिकारियों ने आभार जताया।