लोकसभा में अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान उठाया मुद्दा,सांसद रावत ने मेवाड़ में माइनिंग व गौ विश्वविद्यालय की रखी मांग

उदयपुर।सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने लोकसभा में मांग की है कि मेवाड़ में माइनिंग विश्वविद्यालय व गोगुंदा में गौ माता के नाम पर गौ विश्व विद्यालय खोला जाए। बजट सत्र में शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा पर बोलते हुए सांसद रावत ने यह मांग रखी। उन्होंने राजस्थान में केंद्रीय जनजाति विश्व विद्यालय खोले जाने की बात भी कही।सांसद ने औपनिवेशिक विरासत से बाहर निकलने के लिए देश में जितने भी विश्व विद्यालय हैं, उनमें जनजाति अध्ययन केंद्र खोले जाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि इससे जनजातियों की मौलिक बात व संस्कृति सभी के सामने आ सकेगी, क्योंकि अब तक औपनिवेशिक सत्ता की डिवाइड एंड रूल के विचार एवं दृष्टि ही पढ़ाई जाती रही है। सांसद रावत ने अपने संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष के जरिए सरकार से मांग की कि डॉ जी.एस. धुर्वे के ष्आदिवासी हिन्दू हैष्, यह पाठ्यक्रम भी सभी विश्व विद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए। पिछली सरकारों में इसकी अनदेखी की गई है। सांसद ने सदन में मांग रखी कि विश्व विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले एंथरोपलॉजी विषय जो कि पूरे देश में विभेद करने के लिए है। इसे समाप्त किया जाना चाहिए। इस विषय में केवल जनजातियों को अलग दिखाने की औपनिवेशिक सत्ता की साज़िश रही है, वही पढ़ाई जाती है। माइनिंग व गौ विश्व विद्यालय इसलिए मेवाड़ में चाहिए… सांसद रावत ने कहा कि अरावली की पहाड़ियों में काफी कीमती मिनरल्स मिलते हैं। यहां वेदांता समूह जो कि जिंक का काम करने वाला बहुत बड़ा समूह है। यहां सीएस आर के तहत माइनिंग विश्व विद्यालय स्थापित किए जाने की संभावना बनती है। वहीं पूरे भारत में अनेक विश्वविद्यालय हैं, लेकिन गौ माता के लिए कोई विश्व विद्यालय नहीं। जबकि गौ, गंगा व गायत्री पूरे समाज के लिए गौरव की बात है। गोगुंदा विधानसभा क्षेत्र में करीब एक हजार बीघा गोचर भूमि है। सम्बन्धित ग्राम पंचायतें व अन्य उक्त भूमि देने के लिए तैयार हैं। अतः यहां गौ विश्व विद्यालय खोले जाने की अनुमति प्रदान की जाए। यह मांगे भी रखी

राजस्थान में केंद्रीय जनजाति विश्वविद्यालय की भी जरूरत बताई
– समाज में विभेद पैदा करने वाली औपनिवेशिक साजिश का विषय एंथरोप्लॉजी विश्व विद्यालय  पाठ्यक्रम से हटाया जाए
– आदिवासी हिंदू है का पाठ्यक्रम भी सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाए
– सभी विश्व विद्यालयों में जनजाति अध्ययन केंद्र खोले जाएं

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